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Saturday, April 2, 2022

सीपी कमेंट्री एक अप्रैल से वित्त वर्ष कैलेंडर की परिपाटी हिन्दुस्तानी है

 

सीपी कमेंट्री

एक अप्रैल से वित्त वर्ष कैलेंडर की परिपाटी हिन्दुस्तानी है

चंद्र प्रकाश झा * 

स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक











दुनिया के तमाम देशों की तरह ही भारत में भी कैलेंडर वर्ष पहली जनवरी को शुरू होता है पर नया वित्त वर्ष एक अप्रैल से आरंभ करने की परिपाटी है ,जो संयोग से मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। नए वित्त वर्ष की इस परिपाटी का चार सौ बरस से ज्यादा का रोचक इतिहास है। सन 1582 से पहले नया चंद्र वर्ष , बैशाखी त्योहार और बांग्ला नव वर्ष ही नहीं बल्कि तमिल और मलयालम नव वर्ष भी एक अप्रैल से शुरू करने की प्रथा रही थी। यह खेतों से नई फसल के घर आने और वित्तीय लेन देन के नए खाता-बही की शुरुआत का भी शुभ दिन दिन माना जाया है। ये दिन विभिन्न देशों में बसे भारतीय मूल के लोग भी बड़े उत्साह से मनाते है। इस दिन बच्चे ही नहीं उनके माता-पिता भी नया परिधान पहनते हैं। 

प्रामाणिक ऐतिहासिक अध्ययन से पता चलता है भारत करीब साढे चार सौ बरस पहले विश्व व्यापार के बड़े केंद्रों में शामिल था। तब विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी अनुमानित 23 फीसद थी। वही ब्रिटेन का हिस्सा केवल 0.2 फीसद था। भारत की संपदा से अन्य देश आकर्षित थे। इंग्लैंड ने भारत के व्यापार में अपना फायदा बढ़ाने के लिए सन 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी बनाई। इसी उद्देश्य से हॉलैंड ने 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांस ने 1664 में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी बनाई। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने केरल , बंगाल और तमिलनाडु पहुँच कर देखा वहाँ के लोग धूमधाम से पहली अप्रैल को नव वर्ष मनाते हैं। मौरीशस में बसे भारतीय मूल के शोधार्थी और डायसपोरा नेटवर्क न्यूज के संपादक अशोक मोटवानी के मुताबिक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी अपने वाणिज्यिक कारोबार का आरंभ एक अप्रैल से ही करना शुरू कर दिया। वह ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ परसंस ऑफ इंडियन ऑरिजिन (गोपियो) नामक संस्था की मीडिया काऊँसिल के सह अध्यक्ष भी है।

मुगल बादशाह जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर (1542-1605) ने बैशाखी का दिन ही अपनी हुकूमत के लिए फसली दिवस के रूप में अपनाया था। गौरतलब है कि बादशाह अकबर ने इसके लिए इस्लामी कैलेंडर  नहीं अपनाया जिसमें चंद्र वर्ष से 11 कम सिर्फ 354 दिन होते हैं। फसली त्योहार का दिन ग्रेगेरियन कैलेंडर में किये गए सुधार परिवर्तन के बाद 14 अप्रैल को पड़ने लगा। बैशाखी, विशु आदि के जो त्योहार नव चंद्र वर्ष के दिन एक अप्रैल को पड़ते थे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय वर्ष आरंभ करने का भी दिन बन गया। लेकिन अब ये फ़सली त्योहार 13 या 14 अप्रैल को पड़ता है जो क्रिश्चियन कैलेंडर  में पिछली चार सदी में लाए गए  परिवर्तन के अनुरूप है। परिवर्तित जूलियन कैलेंडर  और 1582 से पहले के अपरिवर्तित जूलियन कैलेंडर में एक जनवरी और 1 अप्रैल चंद्र वर्ष के बैसाख और मकर संक्रांति के दिन पड़ते थे। 

24 फरवरी 1582 को पोप ग्रेगरी ने धर्मादेश जारी कर ग्रेगेरियन कैलेंडर सुधार लागू किये जिसका सभी पश्चिमी देशों ने अनुकरण किया। ग्रेगेरियन कैलेंडर सुधारों में से नव वर्ष दिवस को 25 मार्च से एक जनवरी करना और 1582 के बरस में 10 दिन की कमी लाना शामिल था। इसके अनुरूप 4 अक्टूबर 1582 के बाद 5 अक्टूबर नहीं बल्कि 15 अक्टूबर आया। इस तरह क्रिश्चियन कैलेंडर को 10 दिन आगे सरका दिया गया। कैलेंडर सुधार के तहत 1700, 1800 और 1900 के शताब्दि वर्ष लीप ईयर नहीं गिने गए क्योंकि ये नंबर 400 से विभाज्य नहीं हैं। परिणाम ये हुआ कि क्रिश्चियन कैलेंडर में और तीन दिन जुड़ गए । साथ ही पहली अप्रैल और बैसाखी के दिन में अंतर 13 दिनों का हो गया। यही कारण है कि बैसाखी का दिन अब 13 या 14 अप्रैल को पड़ता है। यही कारण मकर संक्रांति का दिन 13 या 14 जनवरी को पड़ने का है।

प्रारंभ में यूरोप के अधिकतर देश 25 मार्च को अपना नव वर्ष मनाते थे जो हिन्दू नव चंद्र वर्ष अथवा विष्णु प्रतिपदा के समीप है। 1582 में पोप के धर्मादेश के बाद केवल इटली, स्पेन , पुर्तगाल और पोलैंड के कैथोलिक देशों ने परिवर्तित क्रिश्चियन कैलेंडर को अपनाया। अगले दो बरस के भीतर फ्रांस,  लगजम्बर्ग जर्मनी , बेलजियम , स्विट्जरलैंड , नीदरलैंड भी उनके साथ हो गए। हंगरी ने इसे 1587 में अपनाया।  यूरोप के लगभग सभी अन्य देशों ने भी इसे 1699 से 1701 के बीच अपना लिया। ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों ने 1752 में ग्रेगेरियन कैलेंडर अपनाया। स्वीडन ने 1753 में , जापान ने 1873 में , मिश्र ने 1875 में , रूस और पूर्वी यूरोप के अन्य देशों ने 1912 से 1919 के बीच और तुर्की ने 1927 में इसे अपनाया। एक अप्रैल यूरोप में 1582 तक बैसाखी के दिन पड़ता था, ये संबंध ब्रिटेन में 1752 तक और रूस में 1918 तक रहा।

 

राजस्व वर्ष आम तौर पर आय कर की रिपोर्ट के लिए माना जाता है। इसे वित्त वर्ष और बजट वर्ष भी कहा जाता है। उत्तर आधुनिक युग की सरकारों के नियमन कानून के तहत हर 12 माह पर हिसाब किताब और कराधान के लिए ऐसी रिपोर्ट मांगी जाती है। लेकिन कोई जरूरी नहीं यह अवधि है कैलेंडर वर्ष के अनुरूप ही हो। अलगअलग देशों में और किसी एक देश की अलग -अलग कंपनियों में भी राजस्व वर्ष अलग अलग हो सकते है। अमेरिका की शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों में से करीब 65 फीसद का राजस्व वर्ष और कैलेंडर वर्ष एकसमान है। यूनाइटेड किंगडम में भी यही स्थिति है। कई विश्वविद्यालय के राजस्व वर्ष का अंत गर्मियों में होता है। पाकिस्तान में राजस्व वर्ष 1 जुलाई को शुरू होता है। चीन में सभी के लिए राजस्व वर्ष और कैलेंडर वर्ष एक जनवरी को शुरू होकर 31 दिसंबर को खत्म होता है।  अमेरिका की सरकार का राजस्व वर्ष 1 अक्टूबर को शुरू होता है और 30 सितंबर को खत्म होता है।

बहरहाल , अलग -अलग देशों में राजस्व वर्ष अलग -अलग हैं लेकिन फसली वर्ष कमोबेश हर जगह एक समान है।