हाशिया की तस्वीरें :
Photography is poor cousin of painting.
बचपन में गाँव में कज़न बहनों को ऊखल में समाठ से धान कूट-कूट चावल निकालते देखा था दादी की निगरानी में. बचपन से बालिग़ और सठियाने की कगार तक पहुँच जाने पर भी बचे उस स्मरण को अभिव्यक्त करने की कोई तरकीब नहीं सूझी. लिखने को किस्से बन सकते हैं. पर बाल-सुलभ स्मरण , शब्दों के पार जाते हैं. सोचा , अगर मेरी बहनें हिन्दुस्तानी नहीं अमरीकी ' ब्लैक ' होतीं तो क्या बिम्ब सामने आता. संयोग से एक मंहगी चित्रकृति मिल गई.गरीब-सी फोटो मेरी , चित्रकृति जिनकी भी उनका आभार.
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