राउंड अप चुनाव
उत्तर प्रदेश चुनाव के चौथे चरण में बुधवार, 23 फरवरी 2022 को लखनऊ समेत 9 जिलों; पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा की 59 सीटों पर वोटिंग खरामा-खरामा जारी है। इनमें 7 जिले अवध के हैं। अवध की आबादी में अनुसूचित जाति के काफी लोग है। सीतापुर में सबसे ज्यादा 32 फीसद दलित हैं। हरदोई, उन्नाव, रायबरेली में 30 फीसद दलित है। सबसे कम 21 फीसद दलित वोटर लखनऊ में हैं। अवध में दलित समुदाय में बड़ी संख्या गैर जाटव वोटर हैं जो बंटा हुआ है।
यूपी, उत्तराखंड , पंजाब , गोवा और मणिपुर की सभी सीटों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से डाले सभी वोट की काउंटिंग वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल ( वीवीपीएटी ) मशीनों से निकली पर्चियों से सीमित मिलान के बाद एकसाथ 10 मार्च को होगी। उसी दिन सूर्यास्त तक सारे परिणाम मिल जाने की आशा है।
मणिपुर
मणिपुर में परिवर्तित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार अब वोटिंग 28 फरवरी और 5 मार्च को होगी. मणिपुर में कांग्रेस की स्थिति भाजपा से मजबूत बताई जाती है। जिसने सीपीआई, सीपीएम, फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और जेडी (एस) से गठबंधन किया है।
अवध
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का अवध क्षेत्र की करीब दर्जन भर सीटों पर असर है। 2012 के चुनाव में बसपा की 10 सीटों पर जीत हुई थी जों 2017 में घटकर 6 रह गई। माना जाता है अवध में 2017 में सबसे ज्यादा 43 फीसद गैर-जाटव वोट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ( सपा ) को और 31 फीसद मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) को मिले। उस बार बसपा को गैर जाटव वोट 10 फीसद और जाटव वोट 86 फीसद मिलने का आंकलन था।
अवध क्षेत्र में हिंदुत्व का मुद्दा हावी करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक ही दिन अयोध्या में 3 चुनावी सभाएं कीं। कुल सात में से पांचवें चरण में 27 फरवरी को पूर्वांचल के 11 जिलों की 61 सीटों पर वोटिंग होगी।
यूपी विधानसभा की कुल 403 में से 118 सीटें अवध के ही 21 जिलों में पसरी है। भाजपा को इस क्षेत्र में 2017 में 97 और 2012 में 10 सीटें मिली थीं। सपा को 2012 में 90 सीटें मिली थीं जो 2017 में घटकर 12 रह गईं।
छुट्टा सांड
प्रधानमंत्री एवं भाजपा नेता नरेंद्र मोदी ने भी कबूल कर लिया कि यूपी में छुट्टा सांड बड़ा मुद्दा है। भाजपा अभी तक इसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं मानती थी। मोदी जी ने भाजपा की उन्नाव चुनावी रैली कहा इसके निवारण के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्थाएं की जाएंगी।
तीसरे चरण की वोटिंग का ट्रेंड भाजपा के लिए खतरे की घंटी बताई जाती है जिसमें 59 सीटों पर 61 फीसद वोट डाले गए। सपा के असर वाले इलाकों में औसत से ज्यादा मतदान हुआ। इन्हीं सीटों पर 2017 में 62.2 फीसद वोटिंग हुई थी। 2012 में इन सीटों पर 59.8 फीसद वोटिंग हुई थी। 2012 के चुनाव में इन सीटों में से 37 सीटें सपा जीती थी। 2017 में बीजेपी ने इन 59 सीटों में से 41 सीट जीत ली।
इस बार सपा के गढ़ इटावा, मैनपुरी आदि में वोटिंग औसत से ज्यादा हुई। अखिलेश यादव की करहल सीट पर पिछली बार से 3 फीसद ज्यादा मतदान हुआ है। यादव बहुल करीब दो दर्जन सीटों पर औसत से 2 फीसद ज्यादा मतदान हुआ। इन क्षेत्रों में यादव आबादी 30 से 50 फीसद है।
भाजपा के असर वाले बुंदेलखंड के पांचों जिलों; झांसी, हमीरपुर, ललितपुर, महोबा और कानपुर देहात में 2017 की तुलना में काफी कम वोट पड़े।
रोजगार
गोंडा की चुनावी रैली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को रोजगार के मुद्दे पर युवकों की नाराजगी का सामना करना पड़ा। युवकों ने रोजगार देने की मांग को लेकर रैली में जोरदार नारेबाजी की। युवाओं की मांग रक्षा मंत्रालय से ही थी। वे सेना में भर्ती शुरू करने की मांग कर रहे थे। युवाओं ने " सेना में भर्ती चालू करो " और " हमारी मांगें पूरी करो " के नारे लगाएं। राजनाथ सिंह ने " होगी, होगी... चिंता मत करो, आपकी चिंता हमारी भी है, कोरोना वायरस के चलते थोड़ी मुश्किलें कहकर युवाओं को शांत करने की कोशिश की।
मंत्री
मोदी जी , योगी जी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अलावा सपा के अखिलेश यादव, बसपा की मायावती और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने धुंआधार प्रचार किया। इस चरण में योगी सरकार के दो मंत्रियों के साथ ही मोदी सरकार के भी मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें लखनऊ से सांसद एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लखीमपुर से सांसद एवं गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी शामिल हैं। इस चरण में योगी सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक( लखनऊ कैंट ) और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ( लखनऊ पूर्व ) सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में हरदोई से विधान परिषद उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल और रायबरेली सदर सीट से अदिति सिंह ( भाजपा) चुनाव मैदान में हैं।
इस चरण में कुल 2 करोड़ 12 लाख 90 हजार 564 मतदाताओं के सायंने 624 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। वोटरों में 1.14 करोड़ पुरुष, करी 98 लाख महिला और 972 थर्ड जेंडर के हैं। चुनाव आयोग ने 13 हजार 813 मतदान केन्द्रों पर कुल 24 हजार 581 पोलिंग बूथ पर बनाए है।
चौथे चरण में अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित 16 सीटों समेत जिन 59 सीटों पर मतदान होना है उनमें पीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर (सु), बीसलपुर, पलिया, निघासन, गोला गोकरननाथ, श्रीनगर (सु), धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता (सु), मोहम्मदी, महोली, सीतापुर, हरगांव (सु), लहरपुर, बिसवां, सेवता, महमूदाबाद, सिधौली (सु), मश्रिखि (सु), सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ (सु), सांडी (सु), बिलग्राम-मल्लांवा, बालामऊ (सु), संडीला, बांगरमऊ, सफीपुर (सु), मोहान (सु), उन्नाव, भगवंतनगर, पुरवा, मलीहाबाद (सु), बक्शी का तालाब, सरोजनीनगर, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट, मोहनलालगंज (सु), बछरांवा (सु), हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी, ऊंचाहार, तिंदवारी, बबेरू, नरैनी (सु), बांदा, जहानाबाद, बिंदकी, फतेहपुर, अयाहशाह, हुसैनगंज व खागा (सु) सीट शामिल है।
पंजाब में 117 विधानसभा सीटों पर के मुकाबला में इस बार 5 पार्टियों के उतरने के बावजूद वोटरों में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा। पिछली बार के 77 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले इस बार 5.25 फीसद कम वोट पड़े। इस बार 71.95 फीसद ही मतदान हुआ जो पिछले 15 वर्षों में सबसे कम मतदान है। इस बार पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के अलावा भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नए बनाए दल , पंजाब लोक कांग्रेस ने भाजपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा है। किसानों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने भी करीब एक सौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
राज्य के करीब 2.14 करोड़ मतदाताओं ने 117 सीटों पर 1,304 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य पर अपना फैसला दे दिया हैं। इनमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू , कैप्टेन अमरिंदर सिंह , पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उनके पुत्र एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और मुख्यमंत्री पद के लिए आम आदमी पार्टी के दावेदार भगवंत मान शामिल हैं।
उत्तराखंड
उत्तराखंड विधान सभा की सभी 70 सीटों पर मतदान एक ही चरण में 14 फरवरी को पूरा हो गया जिसमें 65.37 फीसद वोटिंग हुई जो 2017 के पिछले चुनाव से 0.18 प्रतिशत कम है। महिलाओं का मतदान , पुरुषों से अधिक रहा जिसका एक कारण मंहगाई के प्रति उनका रोष बताया जाता है। इन सीटों के लिए 11,697 मतदान केंद्र बनाये गये. इन पर कुल 632 उम्मीदवार है।
लोगों का अनुमान है अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा से निष्कासित होने के बाद कांग्रेस में शामिल पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ा । उनके मुताबिक कांग्रेस करीब 40 सीटों पर जीत अपनी सरकार बनाएगी। अभी मुख्यमंत्री भाजपा के पुष्कर सिंह धामी है। भाजपा पाले में दो पूर्व मुख्यमंत्री , त्रिवेंद्र सिंह रावत और रमेश पोखरियाल के अलावा कांग्रेस से आए सतपाल महाराज भी है। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल हैं।
गोआ
इस राज्य की सभी 40 सीटों पर एक ही चरण में 14 फरवरी को वोटिंग पूरी हो चुकी है जिसमें करीब 79 फीसद मतदान हुआ. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अपनी भाजपा की जीत का विश्वास व्यक्त किया है. भाजपा की टक्कर कांग्रेस से है.
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