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Sunday, February 20, 2022

आधी आबादी का चुनावों में क्या ?

 

चुनाव चर्चा

19 फरवरी 2022


आधी आबादी का चुनावों में क्या ?

चंद्रप्रकाश झा  

स्वतंत्र पत्रकार एवं पुस्तक लेखक




दुनिया भर की आधी आबादी के साथ जो होता रहा है वही
पुरुष सत्तात्मक भारत के मौजूदा चुनावों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोआ और मणिपुर में कमोबेश नजर आया। राहुल गांधी और प्रियांका गांधी वढेरा की माँ , सोनिया गांधी की एक सौ 37 बरस पुरानी कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के चयन में इस बार महिलाओं को 40 फीसद हिस्सेदारी देने की घोषणा की थी। ये घोषणा सियासत की हवा से समाज की ठोस जमीन पर कितनी हद तक उतरी है इसका सही आंकलन तत्काल नहीं किया जा सकता है। क्योंकि ये चुनाव अभी पूरे नहीं हुए है। आधिकारिक परिणामों की 10 मार्च को निर्वाचन आयोग की घोषणा के विस्तृत विश्लेषण से ही जमीनी वास्तविकताओं का पता चलेगा।

इस बीच , भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साढे सात बरस पुरानी सरकार ने हाल में संसद में ‘ बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक (2021) ‘ पारित कर कन्या विवाह की न्यूनतम आयु 18 बरस से बढ़ाकर अब 21 कर दी है। भाजपा को इससे चुनावों में महिलाओं को अपने पाले में लाने का लोभ होगा। लेकिन वह निश्चय ही भूल गई कुछ बरस पहले लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करने वालों में उसके ह्विप के खिलाफ वोट  देने में तत्कालीन सांसद और अभी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल थे। इस विधेयक का विरोध यूपी के अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की जातियों में सबसे मुखर यादव समुदाय के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी किया था।

 

महिलाओं के लिए 33 फीसद सीट आरक्षित करने की वैधानिक व्यवस्था करने के लिए एक विधेयक 2010 में ही संसद के उच्च सदन , राज्यसभा ने पारित कर दिया था। लेकिन इस विधेयक पर लोकसभा में कभी मतदान ही नहीं कराया गया। पुरुष सत्तात्मक सियासत इसमें अड़चने खड़ी करती रही है। वह विधेयक 15वीं लोकसभा के 2014 के चुनाव सम्पन्न होने के उपरांत भंग होने पर स्वतः निरस्त हो गया। भाजपा और कांग्रेस कहती रही है कि वे सत्ता में आने पर महिलाओं के लिए 33 फीसद सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था करेंगी।पर दोनों ही इस आरक्षण को लेकर कोई खास गंभीर नज़र नहीं आती हैं। ये दल चाहते तो किसी अधिनियम के बिनया भी  2019 के लोकसभा चुनाव में 33 फीसद महिला प्रत्याशी चुनाव में उतार सकते थे। जैसा कि उस बार ओड़िसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बीजू जनता दल (बीजेडी) और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ( टीएमसी ) ने कर दिखाया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ कदम आगे बढ़कर लोकसभा और विधानसभा समेत सभी निर्वाचित विधायिकाओं  और सरकारी रोजगार में भी महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने की घोषणा की जो अर्थहीन निकली।

 

2022 के इन चुनावों में कांग्रेस ने गोवा के इस बार के चुनाव में जीतने पर महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसद आरक्षण देने का वादा टीएमसी ने वादा किया गोवा चुनाव के बाद उसकी सरकार बनती है तो राज्य में ‘ ग्रहलक्ष्मी कार्ड योजना ’ के तहत हर महिला को मासिक 5 हजार रुपए की मदद दी जाएगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने भी वादा किया गोवा में उसकी सरकार बनती है तो राज्य की महिलाओं को हर माह एक–एक हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस पार्टी ने यही वादा पंजाब में भी किया है।





रायबरेली


यूपी की रायबरेली विधान सभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अदिति सिंह को इस सीट पर 2017 के पिछले चुनाव में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार सवा लाख से ज्यादा वोट मिले थे।तब कांग्रेस और सपा का गठबंधन था। बसपा को भाजपा से कुछ ज्यादा वोट मिले थे। वह इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पाँच बार जीते अखिलेश सिंह की विदेश में पढ़ कर लौटी बेटी है। अखिलेश सिंह का 2019 में निधन हो गया। इस बार कांग्रेस ने डॉ मनीष सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया है। सपा के प्रत्याशी राम प्रताप यादव हैं जो करीब दो बरस जेल में बंद रहने के बाद हाल में जमानत पर छूटे हैं। बसपा प्रत्याशी मोहम्मद अशरफ है।यह सीट रायबरेली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र का ही हिस्सा है जहां से सोनिया गांधी चुनाव लड़ती और जीतती रही है। उनसे पहले इस लोक सभा सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी करती रही थी। इसलिए भी रायबरेली के चुनाव में महिला उम्मीदवारों के संदर्भ का खास महत्व है। यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस ( यूपीए ) की अध्यक्ष सोनिया गांधी फिर जीतने वाली कांग्रेस की एकमात्र निवर्तमान सांसद रही.

 

 

बांकि है राजनीतिक मंजिलें महिलाओं की





2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि इनमें महिलाओं का भारी मतदान हुआ था। इनमें महिला प्रत्याशिओं का अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन भी हुआ। 2014 के लोकसभा चुनाव में 61 महिलाएं जीती थीं जिनकी संख्या 2019 के चुनाव में सर्वाधिक 76 हो गई। ये एक रिकॉर्ड हैं। लेकिन हक़ीकत और भी है. उस चुनाव में भी पुरुष प्रत्याशियों का ही बोलबाला था, जो कुल मिलाकर 7334 थे। महिला प्रत्याशियों की संख्या में कोई खास वृद्धि नहीं हुई। कुल 8049 उम्मीदवारों में 10 फीसद से भी कम सिर्फ 717 महिलाएं थी जबकि देश में उनकी आबादी करीब आधी है। तुर्रा ये कि औसतन करीब 14 फीसद महिला उम्मीदवार ही जीत सकीं.

महिला प्रत्याशियों ने सबसे ज्यादा 33 फीसद जीत अपेक्षाकृत पिछड़े माने गए ओड़िसा में दर्ज की। केन्झार सीट से जीती 26 बरस की आदिवासी नेता चंद्राणी मुर्मू नई लोकसभा में सबसे युवा हैं. क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़े राज्य, राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर की लोकसभा सीट पर 48 बरस बाद पहली महिला , पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल ( कांग्रेस ) चुनाव मैदान में उतरी। पर वह पुरुष प्रत्याशी एवं निवर्तमान सांसद रामचरण बोहरा ( भाजपा ) से हार गईं।  जयपुर से पूर्ववर्ती राजघराना की गायत्री देवी 1962 से तीन बार स्वतंत्र पार्टी की सांसद रही थीं। इस राजघराना की दूसरी सदस्य दीया कुमारी ( भाजपा ) 2019 में राजसमंद सीट पर देवकीनंदन गुर्जर (कांग्रेस) को हरा कर निर्वाचित हुईं। दिवंगत गायत्री देवी उनकी दादी थीं. पूर्ववर्ती ही सही राजघरानों के दिन नहीं लदे हैं.पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराना की वंशज हैं और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह (भाजपा)  झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीते। 

 

2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग सभी राज्यों में वोटर लिस्ट में महिला वोटरों की संख्या और उनके वोट देने में भी भारी इजाफा हुआ।सर्वाधिक शिक्षित और कई मामलों में देश में अव्वल केरल में ही नहीं, सामाजिक रेनेसाँ के साक्षी पश्चिम बंगाल, द्रविड़ आंदोलन की भूमि तमिलनाडू, अर्द्ध-सामंती बिहार,  अरब सागर तटवर्ती गोआ के अलावा पर्वतीय उत्तराखंड , मणिपुर , मेघालय , अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम ही नहीं लक्षद्वीप और

दादरा-नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान अधिक रहा।

अपनी परंपरागत सीटों से चुनाव मैदान में फिर उतरी भाजपा की 16 महिला प्रत्याशियों में से सुल्तानपुर से  केंद्रीय मंत्री मानेका गांधी , चंडीगढ़ से निवर्तमान सांसद किरण खेर (भाजपा) और नई दिल्ली सीट से निवर्तमान सांसद मीनाक्षी लेखी ( भाजपा ) की जीत हुई।

सवाल उठा कि स्वतंत्र भारत में सर्वाधिक 76 महिलाओं के 2019 में लोकसभा पहुँचने से ही देश में महिला साधिकारिता राजनीतिक रूप से हासिल हो गई है ?   हम जानते हैं कि भारत में विगत में इंदिरा गांधी जैसी महिला शासक होने के बावजूद हमारा समाज मूलतः

पितृसत्तात्मक ही है। हम यह भी देख चुके हैं कि भारत में शिक्षा प्रशासक एवं आम आदमी पार्टी प्रत्याशी  आतिशी मार्लेना पूर्व दिल्ली सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर से हार गई और आंतकी हिंसा में आरोपित एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दोषसिद्ध हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वाली प्रज्ञा ठाकुर भाजपा की ही प्रत्याशी के रूप में भोपाल सीट से जीत गईं।





 

चुनाव में महिला के सन्दर्भ में एक अहम विश्लेषण यह भी है कि मतदान में महिलाएं अब पुरुषों की तुलना में अब 1.5 फीसद  ही पीछे रह गयी हैं। प्रथम दो आम चुनाव के आंकड़े उपलब्ध नहीं है। 1962 में तीसरे आम चुनाव में कुल मतदाताओं में से 63 फीसद पुरुषों और 46 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे।

' सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च ' की अध्यक्ष यामिनी अय्यर ने एनडीटीवी न्यूज चैनल के प्रणय रॉय और दोराब सोपारीवाला की पुस्तक ' द वर्डिक्ट ' और निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के हवाले से बताया कि वोटर लिस्ट में महिला मतदाताओं के नाम दर्ज करने में काफी वृद्धि हुई है।  भारत में महिला मतदाताओं की संख्या 2014 के 47 प्रतिशत से बढ़कर 48.13 प्रतिशत हो गई है। इसलिए भी 2019 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं के मतदान का हिस्सा और बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई थी। पर महिला प्रत्याशियों की संख्या 1962 से 1996 के बीच कुल उम्मीदवारों का 5 फीसद से अधिक नहीं थी। 2019 में इसमें दो फीसद का ही इजाफा हुआ।

ओड़िसा में बीजेडी ने अपने उम्मीदवारों में से 33 फीसद हिस्सा महिलाओं को देने का चुनाव से पहले  किया वादा निभाया। उसने राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से 7 पर महिला उम्मीदवारों को उतारा। इनमें से पांच -प्रमिला बिसोयी (आसका), मंजुलता मंडल (भद्रक ), राजश्री मलिक ( जगतसिंहपुर), शर्मिष्ठा सेठी (जयपुर) और चंद्राणी मुर्मू (क्योंझर ) ने जीत दर्ज की। राज्य से जीती अन्य दो लोकसभा सदस्य- अपराजिता सडांगी (भुवनेश्वर) और संगीता कुमारी सिंहदेव (बलंगिरी) भाजपा की हैं। भाजपा ने छह महिलाओं को

उम्मीदवार बनाया था. राज्य से निर्वाचित इन लोकसभा सदस्यों में प्रमिला बिसोयी को छोड़कर सभी सुशिक्षित भी हैं. इतिहास में पहली बार हुआ जब राज्य से इतनी, करीब 33 फीसद महिलाएं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई. कक्षा-दो से आगे नहीं बढ़ सकी 70 वर्षीय  प्रमिला बिसोयी के पास जटिल जीवन के व्यावहारिक अनुभव है। वो करीब 70 लाख महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ( एसएचजी ) का प्रतिनिधित्व करती हैं.चंद्राणी मुर्मू का उदाहरण अप्रतिम है।उन्होंने 2017 में भुवनेश्वर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की  बीटेक डिग्री हासिल की थी। वह नौकरी ढूंढ रही थी तो बीजेडी ने उन्हें केन्झार लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने की पेशकश की। उनके अपने परिवार से कोई भी राजनीति में नहीं है। उनके माता-पिता सरकारी नौकरी करते हैं. हाँ, उनके नाना दो बार 1980 और 1984 में कांग्रेस के सांसद रहे थे। वह ननिहाल के जरिये ही राजनीति में आईं। उन्होंने इस सीट पर भाजपा के अनुभवी उम्मीदवार अनंत नायक को करीब 66200 मतों के अंतर से हराया जो क्योंझर से दो बार , 1999 और 2004 में लोकसभा  के लिए चुने गए थे।

 

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी प्रत्याशियों के चयन में महिलाओं को 40 प्रतिशत आरक्षण देने की अपनी घोषणा पर अमल कर राज्य में लोकसभा की 42 में से 17 सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़े किये।  इनमें से कई बांग्ला फिल्मों की अदाकारा हैं जिनमें मुनमुन सेन ( आसनसोल ), नुसरत जहां (बसीरहाट ) , मिमी चक्रवर्ती ( जादवपुर ), शताब्दि रॉय ( बीरभूम ) शामिल हैं। पिछली बार जीतने में सफल रही मुनमुन सेन इस बार हार गई. टीएमसी की महुआ मोईत्रा भी कृष्णागर सीट पर जीतने में सफल रहीं जो राजनीति में आने से पहले जेपी मॉर्गन कम्पनी में उपाध्यक्ष थी। उन्हें राहुल गांधी 2008 में राजनीति में लाये थे।  राज्य में इस बार भाजपा के प्रत्याशी के रूप में बांग्ला अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी ने हुगली सीट पर टीएमसी की रत्ना डे को मामूली अंतर से हराया।

भाजपा की निर्वाचित महिला लोकसभा सदस्यों में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सर्वप्रमुख कही जा सकती है जिन्होंने उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर राहुल गांधी को 52 हजार मतों से परास्त कर दिया। वह पहली बार लोकसभा चुनाव जीतीं. उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव 2004 में दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ लड़ा था जिसमे वह विफल रहीं। 

उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट से 2014 में जीती फिल्म अदाकारा हेमा मालिनी ( भाजपा) 2019 में भी जीत गईं जिन्होंने अपने क्षेत्र की लगभग कोई देखभाल नहीं की थी। उन्होंने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी)  के कुंवर नरेंद्र सिंह को हराया। उन्होंने फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र  के दूसरे विवाह के लिए धर्म बदल  निकाह किया। दोनों ने निकाह के लिए अपना नाम मुस्लिम किया। हेमा मालिनी के सौतेले पुत्र सनी देओल पंजाब के गुरदासपुर से भाजपा के टिकट पर जीते. गुरदासपुर से भाजपा सांसद रहे दिवंगत फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना की पत्नी कविता भाजपा की और से चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उन्हें पार्टी टिकट नहीं मिला। धर्मेंद्र ,भाजपा प्रत्याशी के रूप में 2004 में बीकानेर (राजस्थान) से जीते थे। भाजपा की जयाप्रदा मथुरा में  समाजवादी पार्टी के मोहम्मद आज़म खान से जीत गयीं। वह इस सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में 2004 और 2009 में जीती थीं। बाद में उन्होंने सपा से अलग होकर अमर सिंह के साथ अपनी नई पार्टी बनाई और फिर भाजपा की शरण में चली गईं। महाराष्ट्र के मालेगांव में आतंकी बम विस्फोट की वारदात के लिए आरोपित प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से जीतने में कामयाब रही। उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को तीन लाख मतों से हराया।  दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर निवर्तमान सांसद और भोजपुरी फिल्मों के अभनेता मनोज तिवारी ( भाजपा) से हार गईं. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नि परणीत कौर एक अंतराल के बाद फिर पटियाला सीट से जीतने में सफल रहीं. लेकिन दिवंगत फिल्म अभिनेता एवं पूर्व सांसद सुनील दत्त की पुत्री , प्रिया दत्त मुंबई उत्तर मध्य की सीट पर भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की पुत्री एवं निवर्तमान सांसद पूनम महाजन से भारी मतों से फिर हार गई। प्रिया दत्त ने लगातार तीसरी बार वहाँ से चुनाव लड़ा। उन्होंने अपना पहला चुनाव मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से लड़ा था, जहां से उनके पिता सुनील दत्त सांसद थे. 2005 में उनकी मृत्यु के बाद वहाँ उपचुनाव में प्रिया दत्त जीती थी। वह 2009 में मुंबई उत्तर मध्य सीट से जीती थीं लेकिन 2014 में पूनम महाजन से ही हार गई थी।

पूर्व फिल्म अदाकारा उर्मिला मातोंडकर भी मुंबई उत्तर सीट पर भाजपा के गोपाल शेट्टी से हार गईं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नि एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरसिमरत कौर भी भटिंडा से जीत गईं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले भी महाराष्ट्र में अपने गृह जिला की सीट बारामती से जीत गईं। लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पुत्री एवं उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति की प्रत्याशी निज़ामाबाद सीट पर भाजपा के धर्मपुरी अरविन्द से हार गईं।  निज़ामाबाद सीट पर  रिकार्ड 185 उम्मीदवार थे। इस कारण वहाँ इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीन के बजाय बेलट पेपर से चुनाव कराना पड़ा।

जम्मू -कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती अनंतनाग सीट पर नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी से चुनाव हार गईं। यह सीट 2016 में महबूबा मुफ़्ती के मुख्यमंत्री बनने के बाद दिए इस्तीफा के कारण रिक्त थी जहां उपचुनाव  सुरक्षा कारणों से नहीं कराये गए थे। अनंतनाग, जम्मू कश्मीर की छह लोकसभा सीटों में है जहां 13.6 प्रतिशत ही मतदान हुआ। महबूबा मुफ़्ती के गृह नगर बिजबेहरा में सिर्फ 2 फीसद मतदान हुआ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव  आजमगढ़ से जीत गए लेकिन उनकी पत्नी एवं कन्नौज से निवर्तमान सांसद डिम्पल यादव हार गईं. फिल्म अभिनेता एवं निवर्तमान भाजपा सांसद शत्रुघन सिन्हा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पटना साहिब सीट से तत्कालीन केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद से हारे और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा ( सपा ) भी लखनऊ सीट पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से हार गईं। पूनम सिन्हा ने जोधा अकबर समेत कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है। आंध्र प्रदेश में एक आदिवासी स्कूल में शिक्षक रही गोदत्ति देमूडू भी 26 वर्ष की आयु में वायएसआर कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीत गईं। उनके पिता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में दो बार विधायक चुने गए थे।

 

बहरहाल, देखना है नए चुनाव में नवनिर्वाचित नई महिला जनप्रतिनिधि विधायिका और उसके बाहर राजनीतिक-सामाजिक जीवन में कितना बेहतर प्रदर्शन करती हैं. गौरतलब है नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ' क्राइम इन इंडिया ' रिपोर्ट 2019 के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और राजस्थान में दर्ज किए गए हैं। 2019 में यूपी में ऐसे 3,065 मामले दर्ज हुए।

 

 

   मीडिया और सियासी हल्कों में सीपी नाम से परिचित पत्रकार, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया समाचार एजेंसी के मुंबई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से रिटायर होने पर पिछले चार बरस से बिहार के अपने गाँव में खेती-बाड़ी और स्कूल चलाने के अलावा हिन्दी अंग्रेजी में नियमित लेखन कर रहे हैं।मेल संपर्क cpjha@yahoo.com

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