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Tuesday, September 15, 2015

ये कमबख्त कम्प्यूटर !

कमबख्त वक़्त : 002 

 

ये कमबख्त कम्प्यूटर !


मुंबई , 30 मार्च 2015: आज फिर ' डेटिंग ' थी ' लेडी जस्टिस' संग. बीती रात बहुत जरूरी नए काम निपटाने थे कम्प्यूटर पर - थोड़ी कमाई वास्ते. एक फिल्म के लिए अनुवाद का कोई मुश्किल काम नहीं था. पर काम कर देने की डेडलाइन सुबह तक ही थी. काम निपटाते -निपटाते नींद-सी आ गई और काम बिगड़ गया. अनूदित सामग्री को ईमेल में संलग्न कर रात में ही भेज देने की धुन में ज़रा-सी चूक से वह पूरी सामग्री कम्प्यूटर पर डिलीट हो गयी.कम्प्यूटर हैंग हो गया.

अटके कम्प्यूटर को जगाने की मेरी कोशिशें नाकाम हो गयीं थीं.रात लगभग गुजर चुकी थी. ये सोच कि वक़्त के पहले जगे रहने से सवेरा होने वाला नहीं और सवेरा होने से पहले वो बिगड़ा काम, बिदके कम्प्यूटर पर बनेगा नही ,कम्प्यूटर की पॉवर सप्लाई बंद कर बिस्तर पर लेट गया. आँखे मूँद ली . सोचने लगा कि कम्प्यूटर का क्या दोष .वक़्त कमबख्त है.

सोचने लगा कि हैदराबाबद में असेम्बल होने के बाद चंडीगढ़ होते हुए 12 बरस पहले मुम्बई पहुंचा यह कम्प्यूटर मशीन ही तो है , इंसान नहीं , जो मेरे प्यार से पसीजे. मेरे लिए अपनों के छोड़ दिए इस पुराने कंप्यूटर को ठीक-ठाक रखने में कोई कोर- कसर नही रख छोड़ रखी थी. इसके केबिनेट के सिवा करीब -करीब सारे पाट -पुर्जे बदले जा चुके थे. नया कम्प्यूटर खरीदने की औकात नही रही.इस एहसास से पुराने कम्प्यूटर को और भी प्यार से संभाले रखने की जिद्दी धुन -सी सवार थी.

नींद आई , मगर नहीं आई. नींद उचट चुकी थी. सूरज की पहली किरण , बिस्तर तक पहुँचते ही उठ गया. ये सोच, अब क्या सोना , जब नींद ही नही सोने वाली .लोरी सुन बच्चे सोते हैं , बड़े नहीं. नींद कभी कत्तई नहीं सोती - जगती भी नहीं.बस , सर पे सवार हो जाती हैं -किसी को भी जगाये रखने या सुला देने तक.

अच्छा किया जो सोया नहीं.बिगड़े काम बनने लगे. मैंने शूटिंग के लिए जम्मू पहुंचे फिल्मकार को सूर्योदय होते ही फ़ोन कर कम्प्यूटर बिगड़ जाने की बात कही.वादा किया कि लेडी जस्टिस से आज की डेटिंग से निपटते ही काम पूरा कर उनको भेज दूंगा. उन्हें मेरे अदालती पचड़ों का पता था. बोले ," कोई जल्दी नही. आराम से काम कर लेना. लेकिन मैंने सुबह चाय की पहली चुस्की लेने से पहले खुद कम्प्यूटर ठीक कर ली. उसके सी -मॉस की गड़बड़ी का पता था. इस गड़बड़ी के कारण कम्प्यूटर स्टार्ट होने के बाद उसकी घड़ी वर्ष 2015 के बजाय 2007 दर्शाती थी. हर बार कम्प्यूटर स्टार्ट करते ही मैनुअली ठीक कर काम चल जाता था. आज चाय बनाकर कम्प्यूटर के सामने बैठते ही मैंने उसका कैबिनेट खोल सी -मॉस के बटन सेल पर आयी नमी पोंछ दी और फिर सेटिंग प्रक्रिया से कम्प्यूटर का समय अपने मोबाइल फ़ोन के समय से मिला कर बिलकुल सही कर दिया. कुछेक मिनट ही लगे कमबख्त कम्प्यूटर को ठीक होने में. चाय की पहली चुस्की लेते ही कम्प्यूटर पर बीती रात अनुवाद का बिगड़ा काम भी नए सिरे से पूरा करने लगा और चाय की दूसरी प्याली खत्म होते-होते अनुवाद का काम पूरा हो गया.

मगर आज की डेटिंग में भी कुछ ख़ास नही हुआ. बस अगली डेटिंग की तारीख तय हुई. मैंने अपने वकील के चेंबर जाकर उन्हें सभी अदालती फाइलें सौंप दी और कहा , " विश टू हैव अ लॉन्ग ब्रेक फ्रॉम माई डेटिंग इन कोर्ट ".वह समझ गए. उन्होंने मुस्कुरा कर कहा , " यू हैव नथिंग मोर टु लूज़ , गो फॉर व्हाट यू विश , हैव ए गुड टाईम" . कमबख्त वक़्त भी कभी-कभी खूबसूरत- सा लगने लगता है. #KambakhtWaqt

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