बाअदब
फ़ैज़ का आख़िरी कलाम
बहुत मिला न मिला ज़िन्दगी से ग़म क्या है
मताए-दर्द बहम है तो बेशो-कम क्या है
हम एक उमर से वाकिफ़ हैं अब न समझाओ
कि लुतफ़ क्या है मेरे मेहरबां सितम क्या है
करे न जग में अलाव तो शे'र किस मकसद
करे न शहर में जल-थल तो चशमे-नम क्या है
अजल के हाथ कोई आ रहा है परवाना
न जाने आज की फ़ेहरिसत में रकम क्या है
सजायो बज़म ग़ज़ल गायो जाम ताज़ा करो
बहुत सही ग़मे-गेती, शराब कम क्या है
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