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Saturday, August 22, 2015

लक्ष्मण के कौव्वे

  हाशिया के किस्से:

 लक्ष्मण के कौव्वे


दिसंबर 1985  में मुम्बई में कांग्रेस का शताब्दी अधिवेशन हुआ था. बतौर पत्रकार कांग्रेस  अधिवेशन की खबर लेने -देने मैं मैं पहली बार मुम्बई पहुँचा  था. एक सुबह कोई अंग्रेजी अखबार पढ़ पता चला कि जहांगीर आर्ट गैलरी में आर के लक्ष्मण  के  रेखाचित्रों की  प्रदर्शनी लगी हुई है . हम चर्चगेट के पास एम्बेसडर होटल में ठहरे हुए थे. नहा -धो - नाश्ता निपटा होटल वालों से आर्ट गैलरी का पता किया तो पहुंचा तो वहां कौव्वे ही कौव्वे नज़र आये.मनुष्य के नाम पर सिर्फ लक्ष्मण दिखे उनसे घंटे भर बात हुई.

लक्ष्मण ने देखते ही पूछा, ' यहाँ कैसे ?' मैंने उन्हें पूर्ण आदर के साथ अपना परिचय दिया और कहा, ' पता चला आप यहाँ होंगे, सो चला आया.बचपन से आपके कार्टून देखता रहा हूँ , आपको कभी देखा -सुना नहीं था. किंचित मुस्कान के साथ उन्होंने कहा , 'मुझे नहीं इन कौव्वों को देखो और बोलो क्या लगता हैं तुम्हे इनको देख कर?'

मैंने कहा , 'झूठ क्या बोलूं , मुझे तो यहाँ क्या, सभी जगह सारे कौव्वे एक जैसे लगते हैं '. वो बोले , ' एक जैसे ना , एक नहीं ना ! एक जैसा बोला तो एक बार फिर सबको गौर से देखो और मुझे बोलो क्या लगता है'. कुछ देर तक उनके रेखाचित्रों में मौजूद कव्वों का अवलोकन कर कुछ सकुचाते हुए मैंने कहा , 'मुझे कोई कौव्वा अलग-थलग दिखा ,कोई समूह में, एक खामोश देवदास जैसा था और एक तो बिलकुल आवारा लग रहा था' .

लक्ष्मण हंस पड़े. फिर कहा , 'सही पहचाना तुमने उन सबको, ये सब हमारी तरह ही हैं और हम लोग जैसे-जैसे हैं ये कौवे भी उसी तरह लग सकते हैं '.मुझसे नहीं रहा गया और बोल गया , 'कौवा तो बदरंग जीव है , बहुत लोगों को कौवा अछूत लगता है , आपने अपने रेखाचित्रों के लिए ये प्राणी ही क्यों चुना ?' वह मुझे थोड़ा डांटने के स्वर में बोले , 'दोष तुम्हारा नहीं , तुम्हारी दृष्टि का है. देखा ठीक , बोला भी ठीक , पर अब सवाल सही नहीं कर रहे .

मैं चुप हो गया और उनको टुकुर -टुकुर देखने लगा .लक्ष्मण शायद ताड़ गए कि मैं अब कुछ भी नहीं बोलूंगा , सिर्फ देखूंगा और सुनूंगा। सो वो बोलने लगे और मैं बस सुनता - देखता रहा . उनकी कही सौ बातों में से एक बारीक बात थी , ' पक्षियों में सबसे ज्यादा मानवीय कोई है तो वो कौव्वा ही है , क्योंकि वही मानव के सबसे ज्यादा करीब है". ( प्रथम प्रकाशन : युवकधारा , नई दिल्ली 1986 , संपादित अंतिम प्रारूप 20 जनवरी 2015 )

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