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Sunday, August 30, 2015

प्रतिकविता : 003 


कवि , कविता और लोग.......

 

सपने में
एक औरत से बातचीत करने वाले कवि ने
टोका
तुम कौन
यहाँ क्यूँ 

फिर कहा
यह काव्य गोष्ठी है
तुम्हारा कविता से
क्या लेना -देना

मैं चुप रहा
और फिर सुना नहीं
और सुनता तो 
क्या सुनता
फिर क्या करता
और क्या कहता
यही ना
कि तुम्हारे सपने में
आने वाली हर औरत
और उसका मर्द
और उनके
बच्चे भी
हम ही तो हैं
( कविवर विमल कुमार से बिन  क्षमा याचना के )

फोटो : प्रदीप सौरभ

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